Wednesday, June 2, 2010

"भारतीय" होने पर सवाल क्यों ........?

वन्दे मातरम मै गौरव शर्मा "भारतीय" अपने विचारों को आप तक पहुँचाने आज फिर से हाजिर हुआ हूँ !!
आज मै किसी ज्वलंत मुद्दे पर नहीं एक आम भारतीय की हैसियत से यहाँ उपस्थित हूँ , मुझे कुछ दिनों से कुछ लोग लगातार पूछ रहे हैं की मैं अपने नाम के साथ "भारतीय" क्यों लिखता हूँ ? बस आज इस सवाल का जवाब देने आया हूँ........
हमें गर्व है की हम भारतीय हैं , हमें गर्व है की हम उस देश में जन्मे हैं जहाँ की संस्कृति और सभ्यता पुरानी है , भारत के अनेकता में एकता की शक्ति को सारे जहाँ ने पहचानी है.........!!
मेरा यह देश है अर्पण का तर्पण का और समर्पण का , जहाँ मानवता हर धर्म से ऊँचा है और भाईचारा दीखता समूचा है ............!!
भारत वह देश है मेरा जहाँ बसती है हर दिल में प्यार और अपनापन , जिस धरती के कण कण को हमने अपनी माता ही मानी है...............!!
गंगा की पवित्रता और हिमालय की विस्तृत ऊंचाई सा व्यक्तित्व और चरित्र हर भारतीय की पहचान है ,हम भारतीय हैं बस इसी बात पर तो अभिमान है .........!!
हे मेरे इश्वेर बस इतना करना तू , भले न हमको इन्सान बनाना पर हर जन्म में भारतीय बनाना , हम गर्वित हैं अपनी मातृभूमि पर की जिसने अहसान किया है हमपर , अपना आशीर्वाद दिया है , हे मातृभूमि , हे भारत माँ बस अब तू इतना ही करना जब मै मर भी जाऊ तो भी मुझसे अलग न होना...............!!



ऐ वतन , हम पर तेरा अहसान है , तुने हमें अपना कहा यही हमारी शान है .
क्यों न करें तेरी पूजा , और क्यों न मानें हम तुझे सब कुछ , तुझसे ही मिलती जग में हमें पहचान है ..............वन्दे मातरम !!

और इसलिए मै """भारतीय""" हूँ ........!!

6 comments:

  1. वाह भैया क्या लिखा है आपने , और ऐसा कौन है जो आपके भारतीय लिखने पर सवाल कर रहा है ? खैर जो भी हो इसे पढ़कर ऐसे लोगों का मुह जरुर बंद हो जायेगा ...... आप इस जोरदार लेख के लिए बधाई स्वीकार करें ......

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  2. प्रिय गौरव,
    स्वस्थ, सानंद आगे बढ़ते रहिये,
    आपके हर ब्लोगिंग के बाद एक चीज़ मुझे जो स्पष्ट महसूस हो रही है, वह है आपके शब्द विन्यास की सुदृढ़ता, और शब्दकोष की निरंतर होने वाली बढ़ोतरी. जो जितना अच्छा पढ़ेगा. वाज उतना ही अच्छा गढ़ेगा, और आपके लेखन में आपका अध्ययन भी इंगित हो रहा है. लेखन हेतु साधुवाद.
    पर गौरव मुझे जो बात चकित कर रही है वह है वह प्रश्न, जिसके जवाब में आपने यह ब्लॉग लिखा है. सोचता हूँ की वह कौन हो सकता है जो माँ भारती के सपूतों से उसके भारतीय होने या अपने आपको भारतीय संबोधित करने पर प्रश्न कर सकता है? यह प्रश्न न केवल हैरान करने वाला है बल्कि घोर आपत्तिजनक है. माँ भारती के स्नेहिल, सुखद, संस्कारी आँचल के नीचे बसर करने वाला कोई व्यक्ति जो अपने आपको भारतीय कहने में संकोच कर सकता है वह गौरव का मित्र होने लायक नहीं हो सकता, ऐसा मेरा सोचना है...
    तथापि आपके द्वारा उल्लिखित उत्तर पर्याप्त है, तेज है, संयमित भी है... मेरी शुभकामनाएं.

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  3. सभी को गर्व है और आपकी भावनाओं की मैं कदर करता हूं,आपके ज़ज़्बे को सलाम करता हुं।यूंही लिखते रहिये,तलवार और कलम जब तक चलती नही उसकी धार बनती नही

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  4. aaj mai gourav sharma bhartiya jo kabhi is blog ka malik hua karta tha aur abhi isse shandar blog ka malik hun mere is blog ko hack karne wale mere atipriya bandhu ka hriday se aabhar vyakt karta hun jinhone is hack kiya aur mijhe 1 aur shandar blog banane me madad ki !!
    bhagwan us mitra ko sadbuddhi de aur uski najar aise hi ham blogers par bani rahe jisse ham sab famous hote rahen !!

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  5. और इसलिए मै """भारतीय""" हूँ ........!!

    http://shayaridays.blogspot.com

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