Wednesday, June 9, 2010

वर्तमान में मिडिया की भूमिका कितनी सार्थक .........सोचिये !!

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले मिडिया के द्वारा दिखाए जाने वाले ख़बरों के औचित्य के साथ ही उसकी विश्वसनीयता के सम्बन्ध में अपने विचारों को आपके तक पहुँचाने के लिए मै आज यहाँ उपस्थित हूँ !!
देश में आज जैसे न्यूज़ चैनलों की बाढ़ सी आ गयी है और दिन ब दिन इन चैनलों की विश्वसनीयता काम होती जा रही है, जिससे यह यह समाचार दिखाने के नाम पर महज खानापूर्ति करती नजर आती हैं ! आज सवाल इन सभी रास्ट्रीय न्यूज़ चैनलों की सार्थकता का है की क्या वास्तव में में यह "रास्ट्रीय चैनल" हैं ?? क्या इनके द्वारा प्रसारित समाचार वास्तव में विश्वसनीय हैं ?? प्रिंट मिडिया तो फिर भी ठीक है मगर इलेक्ट्रोनिक मिडिया पर ऐसे सवाल अधिक उठते है, इन पर विचार करना न केवल हमारा फ़र्ज़ है वरन देशहित के लिए महती आवश्यकता भी है!!
हम मिडिया के सकारात्मक प्रयासों , उनकी विश्वसनीय तथा देशहित में प्रसारित ख़बरों के लिए सदा ही उनकी प्रसंसा कर उन्हें प्रोत्साहित करते रहे हैं और आगे भी करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे, मगर आज मै देशभर के तथाकथित रास्ट्रीय चैनलों से यह पूछना चाहता हूँ क्या इन्हें दिल्ली , मुंबई , कोलकाता जैसे महानगर ही सम्पूर्ण भारत नजर आते हैं ?? क्या इन्हें भ्रामक ख़बरों को प्रसारित करने में भी कोई संकोच नहीं ?? क्या इन चैनलों के लिए छत्तीसगढ़ में 76 जवानों का नक्सली हमले में सहीद हो जाने से अधिक टेलीविजन पर प्रसारित सीरियलों के साजिश और बालीवूड की मसालेदार ख़बरें महत्वपूर्ण हैं ??
सवाल यह भी है की क्या छत्तीसगढ़ जैसे नवोदित और छोटे राज्यों की ख़बरें रास्ट्रीय चैनलों पर प्रसारण योग्य नहीं ?? क्या छोटे राज्य भारत का हिस्सा नहीं है ?? और आखिर क्यों हमारे इतने महत्वपूर्ण ख़बरों की उपेक्छा इन चैनलों द्वारा किये जाते हैं !!
क्या इन चैनलों का उद्देश्य मात्र धन कमाना है देश के हित में इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं ?? तो ऐसे हाल में हम कैसे इन्हें लोकतंत्र का स्तम्भ के रूप में हम स्वीकार करें, मै देश के कर्णधारों से भी यह अपील करता हूँ की वे इस दिशा में कोई ऐसा कदम उठायें जिससे चैनलों की व्यापकता तो बढे ही साथ ही इनकी विश्वसनीयता भी बढे और ऐसे खबर देश में प्रसारित किये जाएँ जो महत्वपूर्ण हो, जिसे प्रसारित करने से देश की विभिन्न समस्याओं के विषय में शासन प्रशासन को जानकारी मिल सके और उसका निराकरण हो, ख़बरें ऐसी हो जिसे देखकर दर्शक को सच में मिडिया के जिम्मेदारी का अहसास हो तभी मिडिया देश के लोकतान्त्रिक व्यवस्था के स्तम्भ के रूप में वास्तव में
मान्यता प्राप्त कर सके..........वन्दे मातरम !!

Wednesday, June 2, 2010

"भारतीय" होने पर सवाल क्यों ........?

वन्दे मातरम मै गौरव शर्मा "भारतीय" अपने विचारों को आप तक पहुँचाने आज फिर से हाजिर हुआ हूँ !!
आज मै किसी ज्वलंत मुद्दे पर नहीं एक आम भारतीय की हैसियत से यहाँ उपस्थित हूँ , मुझे कुछ दिनों से कुछ लोग लगातार पूछ रहे हैं की मैं अपने नाम के साथ "भारतीय" क्यों लिखता हूँ ? बस आज इस सवाल का जवाब देने आया हूँ........
हमें गर्व है की हम भारतीय हैं , हमें गर्व है की हम उस देश में जन्मे हैं जहाँ की संस्कृति और सभ्यता पुरानी है , भारत के अनेकता में एकता की शक्ति को सारे जहाँ ने पहचानी है.........!!
मेरा यह देश है अर्पण का तर्पण का और समर्पण का , जहाँ मानवता हर धर्म से ऊँचा है और भाईचारा दीखता समूचा है ............!!
भारत वह देश है मेरा जहाँ बसती है हर दिल में प्यार और अपनापन , जिस धरती के कण कण को हमने अपनी माता ही मानी है...............!!
गंगा की पवित्रता और हिमालय की विस्तृत ऊंचाई सा व्यक्तित्व और चरित्र हर भारतीय की पहचान है ,हम भारतीय हैं बस इसी बात पर तो अभिमान है .........!!
हे मेरे इश्वेर बस इतना करना तू , भले न हमको इन्सान बनाना पर हर जन्म में भारतीय बनाना , हम गर्वित हैं अपनी मातृभूमि पर की जिसने अहसान किया है हमपर , अपना आशीर्वाद दिया है , हे मातृभूमि , हे भारत माँ बस अब तू इतना ही करना जब मै मर भी जाऊ तो भी मुझसे अलग न होना...............!!



ऐ वतन , हम पर तेरा अहसान है , तुने हमें अपना कहा यही हमारी शान है .
क्यों न करें तेरी पूजा , और क्यों न मानें हम तुझे सब कुछ , तुझसे ही मिलती जग में हमें पहचान है ..............वन्दे मातरम !!

और इसलिए मै """भारतीय""" हूँ ........!!

Thursday, May 27, 2010

........छत्तीसगढ़ के संस्कृति के साथ खिलवाड़ बर्दास्त नहीं......

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से ही छत्तीसगढ़ में फिल्मों के निर्माण के साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्द्योग की स्थापना हुई, और फिल्मों के बाजार में आने और उस पर लोगों की प्रतिक्रियाओं का दौर प्रारंभ हुआ , मोर छईया भुइयां , जहाँ भूलो माँ बाप ला जैसी अच्छी अच्छी फ़िल्में बनी और दर्शकों के द्वारा सराही भी गयी इन फिल्मों में छत्तीसगढ़ की मति की सुगंध ने ही इन्हें मोहक बनाया और कुछ फिल्मों ने तो राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर अपनी जोरदार उपस्थिति भी दर्ज करायी जिससे न केवल इन फिल्मों का वरन इनके कलाकारों का इनके निर्माताओं का और इनसे जुड़े हुए सभी व्यक्तियों के साथ ही छत्तीसगढ़ की संस्कृति का भी प्रचार हुआ और लोगों ने उसे पसंद किया!!
यहाँ तक तो सब कुछ ठीक था मगर जैसे जैसे समय बीतता गया इन फिल्मों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति से अधिक बाजारवाद की संस्कृति नजर आने लगी और आज यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है की छत्तीसगढ़ फिल्म निर्माण से जुड़े कुछ ऐसे लोग जिहे संस्कृति से कोई लगाव नहीं है और जिनका उद्देश्य सिर्फ लाभ कमाना है , के कारण यह उद्द्योग अब अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है , छत्तीसगढ़ की संस्कृति को उसके आचार विचारों को और यहाँ के महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक धरोहरों को पहचान दिलाना ही इनका मूल उद्देश्य था जो आज कहीं भी नजर नहीं आता और यह उद्द्योग भी अब दिशाहीन होता जा रहा है !! यहाँ भी वाही फूहड़ और अश्लील फिल्मों का निर्माण और प्रदर्शन होने लग गया है जिससे निश्चित ही हमारी संस्कृति और हमारी मति की सुगंध अब दूषित हो रही है !!
जब जब निर्माताओं ने अच्छी कहानी संवाद और अच्छी पटकथा प्रस्तुत की है फ़िल्में चली हैं और जब जब इस तरह दिशाहीन फ़िल्में बनाई गयी है उसे दर्शकों ने नाकारा ही है , इससे स्पस्ट है की दर्शक भी ऐसी फ़िल्में नहीं देखना चाहते हैं!! आज कुछ निर्माताओं ने बहार से कलाकारों को बुलाकर फिल्मों में काम दे रहे हैं वह भी कुछ हद तक सही नहीं है , जब हमारे पास बालीवुड को टक्कर देने वाले भैयालाल हेदाऊ , सुदामा शर्मा , अनुज शर्मा , प्रकाश अवस्थी, मोना सेन , ममता चंद्रक्कार जैसे अच्छे अच्छे कलाकार हैं तो हम क्यों बाहरी कलाकारों को बढ़ावा दे रहे हैं ? क्या यह हमारे योग्य कलाकारों के साथ अन्याय नहीं ? निश्चित ही जब हमारे ये प्रतिभावान कलाकार अन्य जगहों पर जाते हैं तो इन्हें काम नहीं दिया जाता है तो फिर इन के प्रदेश में अन्य लोगों को काम देने से पूर्व इन्हें महत्व देना चाहिए !! और अगर हम सच में छत्तीसगढ़ी फिल्मोदद्योग का विकास चाहते हैं तो हमें कुछ स्वार्थी लोगों को दूर कर गरीब ही सही मगर धरती से जुड़े प्रतिभावान लोगों को महत्व देना होगा , इसके साथ ही अच्छे स्तर के फिल्मों का निर्माण करना होगा जिससे हमारी संस्कृति को पहचान मिले और हमारे कलाकार भी इसके माध्यम से अपनी पहचान कायम कर सकें , निश्चित ही अश्लील और फूहड़ फिल्मों का निर्माण और प्रदर्शन बंद करना चाहिए और यह भी समझ लेना चाहिए की अब छत्तीसगढ़ के संस्कृति के साथ खिलवाड़ बर्दास्त नहीं किया जायेगा............

Friday, May 21, 2010

.............!!मेरे छत्तीसगढ़ का हाल..........!!

छत्तीसगढ़ की धरती का क्या कहें हम हाल ....
यहाँ तो यारों गरीब फटेहाल है और मंत्री अधिकारी मालामाल





शांति के इस टापू पर आज नक्सलवाद जा जाल है ........
जय जोहर कहने वाले कहते सलाम लाल हैं






छत्तीसगढ़ में भ्रस्टाचारी मदमस्त और आम आदमी कंगाल है ......
धन के कटोरे में ब्लेक में बिकता चावल दाल है






अभी तो पकड़ा गया सिर्फ एक बाबु - लाल है
न जाने अभी इस धरती पर और कितने बाबु - लाल हैं





आज छत्तीसगढ़ की दो करोड़ जनता पुच रही है सिर्फ एक ही सवाल
की कब यह पावन धरा बनेगा शांत समृद्ध और खुशहाल

Thursday, May 20, 2010

!! ..........प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया...........!!

नमस्कार, मै आज आपके सामने फिर से उपस्थित हूँ, मेरे द्वारा कल किखे गए ब्लॉग में सायद बड़ी ही अच्छी प्रतिक्रियाएं मुझे जानने को मिले लोगों में मुझे अपने विचारों से अवगत कराया , उसे पढ़ा , मै उन सभी का आभारी हूँ !!
मेरे कुछ आत्मीय स्वजनों ने कहा की नक्सली जनता से वोट मांगें और जनहित में सरकार में शामिल होवें , मै उनसे यह सवाल बड़ी विनम्रता के साथ करना चाहता हूँ की , अब तक नक्सली प्रशाशनिक अमलों को ही निशाना बना रहे थे , मगर अब वे आम आदिवासी और आम लोगों को निशाना बनाना प्रारंभ कर चुके हैं , इससे यह स्पस्ट होता है की वे जनहितैषी तो कतई नहीं हैं!!
मै ऐसे लोगों सिर्फ यही पूछना चाहता हूँ की क्या ऐसे लोग जिनके हाथ निर्दोषों के खून से रंगे हैं , जो वर्षों से सिर्फ हत्या, लूटपाट और केवल असामाजिक घटनाओं को अंजाम देते आ रहे हैं , जिनका मानवता और इंसानियत से कोई सरोकार नहीं है , जिनके लिए किसी के जीवन का कोई मोल नहीं है , क्या उनके हाथ में सरकार का जाना उचित होगा ? क्या हत्यारों को ही देश का कर्णधार बनाना उचित होगा ? क्या वो माँ जिसने अपने बेटे को इनके द्वारा खोया है वो इन्हें माफ़ कर स्वीकार करेगी ? क्या वह पत्नी जिसका सुहाग इन्होने लुटा है वो इन्हें स्वीकार करेगी ? वे मासूम बच्चे जिनके सर से पिता का हाथ उठ गया सिर्फ इन नक्सलियों के द्वारा क्या वे इन्हें माफ़ करेंगे ? क्या उन सहिदों की आत्मा उन्हें माफ़ कर देश के कर्णधारों के रूप में माफ़ कर पायेगी ?
जवाब सिर्फ एक है नहीं , नहीं और केवल नहीं हम उन निर्मम मौत के सौदागरों को कभी माफ़ नहीं कर सकते !! इन नक्सलियों की तुलना यही लोग आतंकवादियों से करते हैं तो क्या ये लोग आतंकवादियों को देश की सरकार चलने की अनुमति देने को तैयार हैं ?
नक्सलवादियों का इस प्रदेश से ही नहीं वरन इस तथाकथित मानसिकता या विचारधारा का अंत कर इसका संहार करना ही इससे पूर्ण रूप से हमें मुक्ति दिला सकता है , हाँ उससे कैसे निपटा जाये यह अवश्य बहस का मुद्दा हो सकता है , मै सरकार के नुमाईन्दों से भी यह अपील करना चाहता हूँ की अपनी रणनीति को लापरवाही पूर्वक मिडिया को परोसने की गलती न करें , आप {सरकार} तो अपनी रणनीति को अंजाम दे नहीं पाते हैं, और नक्सली आपकी रणनीति से भी बेहतर रणनीति तैयार कर उसे ध्वस्त कर देते हैं !! यहाँ यह भी गौरतलब है की शाशन का खुफियातंत्र किस स्टार तक लोगों की मानसिकता को जनता है या उसे इसकी जानकारी है , हमारा खुफियातंत्र तो हवाहवाई तरीके से कार्य करता है मगर नक्सलियों का सुचना और प्रचार तंत्र हमारे सरकार से भी तेज और आम जन तक पकड़ रखने वाला सिद्ध होता है , निश्चित ही शासन को अपने सुचना तंत्रों में कसावट की भी आवश्यकता है!!
मै शायद विषय से थोडा दूर चला गया था माफ़ी चाहूँगा , मै सिर्फ यही कहना चाहता हूँ की हम उन हिंसा और आतंक के पुजारी नक्सलियों को अहिंसा और शांति के संवाहक महात्मा गाँधी के देश को चलने की अनुमति कतई नहीं दे सकते ऐसा सोचना भी हमारे सहीद जवानों एवं मरे गए लोगों के प्रति अन्याय होगा , कल मेरी लिखित बातों से निश्चित ही बहुत से लोगों को पीड़ा हुई है मै उनसे सादर छमा प्रार्थी हूँ , मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुँचाना नहीं वरन देश के जिम्मेदार नागरिक की हैसियत से देश में शांति स्थापित करने में अपना सकारात्मक योगदान देना है !! मै पुनः उन शहीदों एवं मरे गए लोगों को अपनी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ .........

Wednesday, May 19, 2010

क्या नक्सलवाद के लिए मिडिया जिम्मेदार नहीं ? सोचिये !!

आज मै लिखना चाहता हूँ मिडिया और नक्सलवाद के परस्पर सम्बन्ध पर, ऐसा क्यों होता है की मिडिया के माध्यम से हमारी सरकार के द्वारा नक्सलियों के खिलाफ किये जाने वाके समस्त कार्यवाहियों की जानकारी नक्सलियों तक तो जरुर पहुच जाती है मगर वाही मिडिया वाले जो हमारी खबर नक्क्सलियों तक पहुंचाते हैं वे क्यों उनकी स्थिति और उनके सम्बन्ध में अन्य जानकारियां सरकार को या आमजनों को नहीं देते हैं ??
क्या ऐसा करके मिडिया वाले ये बताना चाहते हैं की उनकी पकड़ नक्सलियों तक भी है या वे ये बताना चाहते है की जिस नक्सली प्रभावित जगहों में पुलिस नहीं पहुँच सकती वहां हम मिडिया वाले पहुँच सकते हैं !! आखिर साबित क्या करना चाहते हैं हैं ये मिडिया वाले नक्सली का interview दिखाकर ? क्या वे ऐसा करके कहीं न कहीं उनका हौसला बढाकर या उनकी बातों को समूचे देश में प्रसारित कर वे उन्हें प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं ??
मुझे यह कहने में किसिस प्रकार का कोई संकोच नहीं है की इस मामले में मिडिया का भी उतना ही उत्तरदायित्व है जितना सरकार और अन्य सभी प्रसासनिक अम्लों का है !! मगर आज मिडिया के लोग गाहे बगाहे मिडिया के समर्थक बनते जा रहे हैं , हाँ जो मिडिया नक्सलियों के निति और उनके बातों को समूचे देश में प्रसारित कर रहा है वह निश्चित ही नक्सल समर्थक है !! क्या मिडिया की यही जिम्मेदारी है? क्या देश के चौथे स्तम्भ की यही जिम्मेदारी है ?
मै यह भी बताने में संकोच नहीं करूँगा की जब दंतेवाडा में 70 से अधिक जवान मरे गए और अभी हाल में ही जब पुनः नक्सलियों ने बस को उड़ा दिया ऐसे अवसर पर भी तथाकथित रास्ट्रीय न्यूज़ चैनलों द्वारा इन ख़बरों को महत्व न देकर अन्य फालतू ख़बरों को ही प्रसारित किया जाता रहा , खबरों में सिर्फ महानगरों की चोरी , अभिनेताओं के नखरे , खेल जगत में भारत की नाकामी को ही दिखाया जाता रहा , क्या हमारे जवान ओं का मारा जाना कोई खबर नहीं ? क्या हमारे पचास से भी अधिक लोगों का मारा भी जाना कोई खबर नहीं ? आखिर क्यों मिडिया वाले इन ख़बरों की उपेक्छा कर अनावश्यक खबर दीखते हैं ? क्या उनका उद्देश्य सिर्फ लाभ कमाना ही रह गया है , देश की सेवा नहीं ?
ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो कहीं न कहीं मिडिया के नकारात्मक प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं , आज समय आ गया है की अब मिडिया की स्वतंत्रता पर सकारात्मक अंकुश लगाया जाये ताकि देश में देशहित से जुड़े आवश्यक खबर ही प्रसारित हो किसी आतंकी का interviwe नहीं , और ऐसे खबर प्रसारित हों जिससे लोगों को देशभक्त बनने की प्रेरणा मिले आतंकवादी या नक्सली बनने की नहीं , मै देश के कर्णधारों से अपील करता हूँ की ये अब वोटों की राजनीती और मिडिया के दुरूपयोग को बंद कर देश को सकारात्मक दिशा प्रदान करें , अंत में मै सभी मरे जाने वालों को अपनी ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ ...............

Tuesday, May 18, 2010

.................... हिन्दी है हम वतन है .............

माना की आज हम सारे संसार पर छा रहे है ,हर जगह अपना परचम लहरा रहे है,लेकीन हमारी मात्र भाषा को अपनाने से क्यों कतरा रहे है ?माना की प्रगती के लीये अंग्रेजी जरुरी है लेकीन अपने ही देश में हमारी ही भाषा की ये दुर्गती क्यों है ??? हर देश की पहचान उसकी संस्कृती और भाषा से होती है अगर हम ही इसकी उपेक्षा करेंगे तो शायद आने वाला पल हमे भारतीय नहीं कुछ और ही कहेगा ये हमारा एक प्रयाश है हमारी भाषा को फीर से जीवंत करने का ये हमारा एक प्रयाश है हमारे वतन को फीर से भारत बनाने का मेरा सबसे अनुरोध है अपना कुछ कीमती वक़्त हमारी भाषा के नाम करे मुझे आप सबके सहयोग की जरुरत है आईये ताकी फीर से हम वो गीत गुनगुना सके हिन्दी है हम वतन है ........................... जय हिन्द जय भारत

Sunday, May 16, 2010

हम दुनिया के धनि व्यक्ति बिल गेट्स को भारत लाकर उन्हें देश की गरीबी दिखाकर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं? क्या हम आज भी उनकी मानसिकता को व

हम दुनिया के धनि व्यक्ति बिल गेट्स को भारत लाकर उन्हें देश की गरीबी दिखाकर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं?
क्या हम आज भी उनकी मानसिकता को वाही बनांये रखना चाहते हैं जो वे सदियों से अपने मन में पाले हुए हैं की भारत तमाशबीनों का देश है जहाँ के लोग साँपों का खेल दिखाकर और मजदूरी करके ही अपनी जीवन यापन करते हैं ? या क्या वे इस गरीबी को दिखाकर ये साबित करना चाहते हैं की हमने आज तक कोई भी तरक्की नहीं किया है और सायद आप के ही भरोसे हैं ?
मेरा प्रश्न है बिल गेट्स को भारत लाकर गरीबी के दर्शन करवाने वालों से की क्या उन्हें भारत की समृद्धशाली परंपरा और ऐतिहासिक महत्व के अन्य जगह नहीं दीखते क्या भारत में गौरवशाली संस्कार और संस्कृति को अपने में समेटे हुए धरोहर भी नजर नहीं आते ?
मै निवेदन करता हूँ देश के कर्णधारों से की वे ऐसी गिरी हुई हरकत न करें जिससे भारत भूमि के अपमान का कोई भी मौका विदेशियों को मिले भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके लिए प्रशासन को भी अपना ध्यान आक्रिस्ठ करना चाहिए.......

Wednesday, March 10, 2010

!!.............नारी शक्ति अब होगी मजबूत............!!

आज देश के समृद्ध लोकतंत्र ने एक अहम् फैसला लेकर समूचे विश्व को सोचने मजबूर कर दिया है की अब भारत विकासशील देश ही नहीं रहा वह विकसित होने की ओर अपने कदम तेजी से बाधा रहा है , चाहे वह कोई भी विषय हो भारत अब पीछे नहीं रहने वाला , या यूँ कहें तो अब तक तो भारत के पुरुषों ने ही अपनी कामयाबी के झंडे गाड़े थे , मगर अब वह समय आ गया है जब हमारी नारी शक्ति भी अपनी सफलता का श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाने में सफल होंगी !!
आज जिस प्रकार से महिला विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ है वह निश्चित ही देश के लोकतान्त्रिक इतिहास में स्वर्णिम अवसर साबित होगा , अब महिलाएं भी अपनी आवाज को संसद में उठा पाएंगी , जो नारी कल तक केवल माँ ,बहन , पत्नी , के पदों तक ही सिमित थी वह अब अपनी प्रतिभा , नेतृत्व शक्ति के बल पर देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन हो पाएंगी!!
आज भारत के सभी राजनितिक दलों से भी मै यह निवेदन करना चाहता हूँ की वे उन प्रतिभासंपन महिलाओं को आगे आने का मौका देवें जो महिला कार्यकर्ता संगठन में तथा देश के लिए अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे हैं , जिनमे संगठन चलने तथा कार्य करने की कुशलता हो न की किसी बड़े नेता के रिश्तेदारों को जिससे इस कानून की पारदर्शिता सदैव ही बनी रहेगी तथा हमारा देश प्रगति के पथ पर आगे बढेगा !!
हम सब आभारी हैं श्रीमती सोनिया गाँधी जी एवं प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के प्रति जिनके अथक प्रयासों से यह संभव हो पाया है , पहले परमाणु करार फिर रोजगार गारंटी योजना उसके बाद अब महिला आरक्छन विधेयक ने साबित कर दिया है की केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार देश के विकास के लिए ही नहीं वरन देश के प्रत्येक व्यक्ति के विकास के लिए भी तत्पर है आज हमारे युवा ह्रदय सम्राट श्री राहुल गाँधी जी के मार्गदर्शन एवं मनमोहन सिंह जी के कुशल नेतृत्व में देश जिस प्रकार अहम् फैसले करता हुआ आगे बढ़ रहा है वह काबिले तारीफ है , कांग्रेस पार्टी के साथ साथ भाजपा एवं वाम दलों ने भी जिस प्रकार इसमें अपना योगदान दिया है वह बेहद महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक कदम है जिसके लिए हम इन दलों का भी सुक्रिया अदा करते हैं !!

Monday, March 8, 2010

!!................देश को बाँटना बंद करो.................!!

....आज कुछ अपने आप को देश का नेता कहने वाले गद्दार लोग जिस बेदर्दी से देश को बाँटने का काम कर रहे हैं , वह निहायत ही घटिया कार्य है !! केवल देश में सत्ता पाने के लिए जिस तरह ये लोग किसी भी कीमत को चुकाने के लिए तैयार नजर आते हैं उसे देखकर तो यही लगता है की ये नेता देशभक्त नहीं देशद्रोही हैं !! आज बाल ठाकरे कहते हैं की सचिन जैसे लोग केवल महारास्त्रमें ही पैदा होते हैं , उन्हें क्या केवल मराठी प्रतिभा ही नजर आती है ? क्या देश में और कहीं कोई प्रतिभा नहीं है ? क्या आज किसी में भी ऐसे घटिया नेताओं को मुहतोड़ जवाब देने की शक्ति नहीं है ? क्यों ऐसे लोगों को हमारी कानून व्यवस्था देशद्रोही करार देकर सजा नहीं सुनाता !! और सर्कार तो बिलकुल जैसे मौन दर्शक की भूमिका निभा रही नजर आती हैं !!
ऐसे दल जब केवल एक प्रदेश की ही राजनीती करना चाहते हैं तो इन्हें पुरे देश में अपनी पार्टी के सदस्य बनाने की क्या जरुरत है वे केवल महाराष्ट्र या अन्य प्रदेशों से अपनी राजनीती क्यों संचालित नहीं करते हैं ? क्यों देश भर के कार्यकर्ताओं को गुमराह करते हुए अपनी स्तरहीन पार्टी का सदय बनाकर गुमराह करते हैं !!
मै ऐसे कार्यकर्ताओं से भी अपील करता हूँ की वे इस तरह के घटिया एवं स्तरहीन राजनीती करने वाली पार्टी से त्यागपत्र देकर उन्हें उनकी असली औकात दिखाएँ !! और अपनी देशसेवा की भावना का परिचय देवें .........!!!!!!!
....आज कुछ अपने आप को देश का नेता कहने वाले गद्दार लोग जिस बेदर्दी से देश को बाँटने का काम कर रहे हैं , वह निहायत ही घटिया कार्य है !! केवल देश में सत्ता पाने के लिए जिस तरह ये लोग किसी भी कीमत को चुकाने के लिए तैयार नजर आते हैं उसे देखकर तो यही लगता है की ये नेता देशभक्त नहीं देशद्रोही हैं !! आज बाल ठाकरे कहते हैं की सचिन जैसे लोग केवल महारास्त्रमें ही पैदा होते हैं , उन्हें क्या केवल मराठी प्रतिभा ही नजर आती है ? क्या देश में और कहीं कोई प्रतिभा नहीं है ? क्या आज किसी में भी ऐसे घटिया नेताओं को मुहतोड़ जवाब देने की शक्ति नहीं है ? क्यों ऐसे लोगों को हमारी कानून व्यवस्था देशद्रोही करार देकर सजा नहीं सुनाता !! और सर्कार तो बिलकुल जैसे मौन दर्शक की भूमिका निभा रही नजर आती हैं !!
ऐसे दल जब केवल एक प्रदेश की ही राजनीती करना चाहते हैं तो इन्हें पुरे देश में अपनी पार्टी के सदस्य बनाने की क्या जरुरत है वे केवल महाराष्ट्र या अन्य प्रदेशों से अपनी राजनीती क्यों संचालित नहीं करते हैं ? क्यों देश भर के कार्यकर्ताओं को गुमराह करते हुए अपनी स्तरहीन पार्टी का सदय बनाकर गुमराह करते हैं !!
मै ऐसे कार्यकर्ताओं से भी अपील करता हूँ की वे इस तरह के घटिया एवं स्तरहीन राजनीती करने वाली पार्टी से त्यागपत्र देकर उन्हें उनकी असली औकात दिखाएँ !! और अपनी देशसेवा की भावना का परिचय देवें .........!!!!!!!

Wednesday, February 24, 2010

!!.............बजट एवं छत्तीसगढ़............!!

.......फिर इस बार हमारा छत्तीसगढ़ छला गया , हमें फिर से दो तीन नयी ट्रेन के रूप में झुनझुना पकड़ा दिया गया !! आखिर कब कोई रेल मंत्री पुरे देश का रेलमंत्री बनेगा ? क्या सिर्फ रेलमंत्रियों को बजट में अपने ही प्रदेश का ध्यान रहता है पुरे देश का नहीं ?
निश्चित ही यह बजट राष्ट्रीय स्तर पर जनहितकारी हो सकता है मगर यदि हम राज्यों के अनुसार देखें तो इसमें केवल कुछ ही राज्यों को उपकृत किया गया नजर आता है !! हमारे छत्तीसगढ़ जैसे नवनिर्मित राज्यों को इस बजट में अनदेखा किया गया प्रतीत होता है , न केवल इस बजट बल्कि अभी तक प्रस्तुत सारे बजट में ऐसा ही होता है , जबकि अपने विकास की बात जोहते ऐसे प्रदेशों को सुविधासंपन्न बनाने हेतु अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है !! शायद हम केंद्र को अधिक सांसद नहीं दे पाते जिसका खामियाजा प्रदेश को भुगतना पड़ता है , ऐसे कोई भी कारण हो मगर हमारा छत्तीसगढ़ उपेक्छा का शिकार कब तक बनता रहेगा ???
मै देश के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी तथा रेल मंत्री से अपील करता हूँ की हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ की उपेक्छा करना बंद कर समुचित विकास में योगदान देवें ......!!

Monday, February 22, 2010

श्रेष्ठता की सच्चाई

अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह को देश का दूसरा स्रेस्थ मुख्यमंत्री घोषित किया गया है !! मै इस विषय पर इस पुरस्कार की सच्चाई को यहाँ पर प्रदर्शित करना चाहता हूँ !!
उस प्रदेश का मुखिया कैसे श्रेष्ठ हो सकता है जहाँ की अधिकाधिक जनता गरीबी रेखा से निचे जीवन यापन कररही है , जहाँ रोज कई निर्धन ,लाचार आदमी नक्सलियों के कारन मारे जाते हैं ! कहने को तो इस प्रदेश में चारों और विकास की गंगा बहाई जा रही है , यह सच भी है ! मगर यह आम जनता के लिए नहीं नेता , मंत्री एवं नौकरशाहों के लिए है !
रमण सरकार गरीब जनता को एक रूपये में चावल देकर अपने गरीब हितैषी होने का दंभ भरती है मगर वास्तव में वह जनता की कार्य करने की इच्छाशक्ति को मारकर, शराब का लत लगाकर , उन्हें आलसी बनाने का प्रयास कर रही है जिससे उनका वोट बैंक सुरक्छित हो जाये , अगर यह सरकार वास्तव में गरीब हितैषी होती तो उन्हें आर्थिक सहायता उपलब्ध कराकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करती , उनकी क्रयशक्ति बढ़ाने का प्रयास करती !!
ऐसी सरकार कभी भी गरीब हितैषी नहीं हो सकती तथा ऐसी सरकार का मुखिया आज तो लोकप्रिय हो सकता है मगर उसने प्रदेश को बर्बाद करने का ही काम किया है ऐसे भ्रष्ट सरकार को पुरस्कृत करने वाली संस्था एवं सर्वे की हकीकत पर क्या विश्वास किया जा सकता है यह विचार का मुद्दा है .............!!

Sunday, February 21, 2010

जैसा की आप सभी जानते हैं , आज समूचा विश्व आर्थिक मंदी से त्रस्त है तथा महंगाई अपनी चरम पर है ऐसी स्थिति में जहाँ भाजपा जैसे राजनितिक दल अपने असहयोगात्मक रुख का परिचय देते हुए देश में एक ओर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं , वहीँ दूसरी ओर इंदौर के कुश्भाऊ ठाकरे ग्राम में अपनी कार्यकारिणी की बैठक में करोड़ों रूपये फूंककर क्या साबित करना चाहती है ?
क्या वे इसके माध्यम से यह बताना चाहते हैं की महंगाई से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता या फिर ये बताना चाहते हैं की उन्हें देश की आम जनता से कोई सरोकार नहीं है !!केवल बैठक आयोजित करने के लिए इतना दिखावा करना तथा फिजूलखर्च करना इस परिस्थिति में केवल भाजपा नेताओं के विलासिता पूर्ण रवैये को प्रदर्शित करता है !!
इस कृत्य से भाजपा के दोगली निति का भी पता चलता है अगर वास्तव में वह देश की हितैषी है तो उन्हें ऐसे हरकतों से बाज आना चाहिए तथा रास्ट्रीय मुद्दों पर सहयोगात्मक रुख अपनाकर देशभक्ति का परिचय देना चाहिए ....